ॐ रजताचल शृंगाग्र मध्यस्थायै नमः
ॐ हिमाचल महावंश पावनायै नमः
ॐ शंकरार्धांग सौंदर्य शरीरायै नमः
ॐ लसन्मरकत स्वच्च विग्रहायै नमः
ॐ महातिशय सौंदर्य लावण्यायै नमः
ॐ शशांकशेखर प्राणवल्लभायै नमः
ॐ सदा पंचदशात्मैक्य स्वरूपायै नमः
ॐ वज्रमाणिक्य कटक किरीटायै नमः
ॐ कस्तूरी तिलकोल्लासित निटलायै नमः
ॐ भस्मरेखांकित लसन्मस्तकायै नमः ॥ १० ॥
ॐ विकचांभोरुहदल लोचनायै नमः
ॐ शरच्चांपेय पुष्पाभ नासिकायै नमः
ॐ लसत्कांचन ताटंक युगलायै नमः
ॐ मणिदर्पण संकाश कपोलायै नमः
ॐ तांबूलपूरितस्मेर वदनायै नमः
ॐ सुपक्वदाडिमीबीज वदनायै नमः
ॐ कंबुपूग समच्छाय कंधरायै नमः
ॐ स्थूलमुक्ताफलोदार सुहारायै नमः
ॐ गिरीशबद्दमांगल्य मंगलायै नमः
ॐ पद्मपाशांकुश लसत्कराब्जायै नमः ॥ २० ॥
ॐ पद्मकैरव मंदार सुमालिन्यै नमः
ॐ सुवर्ण कुंभयुग्माभ सुकुचायै नमः
ॐ रमणीयचतुर्भाहु संयुक्तायै नमः
ॐ कनकांगद केयूर भूषितायै नमः
ॐ बृहत्सौवर्ण सौंदर्य वसनायै नमः
ॐ बृहन्नितंब विलसज्जघनायै नमः
ॐ सौभाग्यजात शृंगार मध्यमायै नमः
ॐ दिव्यभूषणसंदोह रंजितायै नमः
ॐ पारिजातगुणाधिक्य पदाब्जायै नमः
ॐ सुपद्मरागसंकाश चरणायै नमः ॥ ३० ॥
ॐ कामकोटि महापद्म पीठस्थायै नमः
ॐ श्रीकंठनेत्र कुमुद चंद्रिकायै नमः
ॐ सचामर रमावाणी विराजितायै नमः
ॐ भक्त रक्षण दाक्षिण्य कटाक्षायै नमः
ॐ भूतेशालिंगनोध्बूत पुलकांग्यै नमः
ॐ अनंगभंगजन कापांग वीक्षणायै नमः
ॐ ब्रह्मोपेंद्र शिरोरत्न रंजितायै नमः
ॐ शचीमुख्यामरवधू सेवितायै नमः
ॐ लीलाकल्पित ब्रह्मांडमंडलायै नमः
ॐ अमृतादि महाशक्ति संवृतायै नमः ॥ ४० ॥
ॐ एकापत्र साम्राज्यदायिकायै नमः
ॐ सनकादि समाराध्य पादुकायै नमः
ॐ देवर्षभिस्तूयमान वैभवायै नमः
ॐ कलशोद्भव दुर्वास पूजितायै नमः
ॐ मत्तेभवक्त्र षड्वक्त्र वत्सलायै नमः
ॐ चक्रराज महायंत्र मध्यवर्यै नमः
ॐ चिदग्निकुंडसंभूत सुदेहायै नमः
ॐ शशांकखंडसंयुक्त मकुटायै नमः
ॐ मत्तहंसवधू मंदगमनायै नमः
ॐ वंदारुजनसंदोह वंदितायै नमः ॥ ५० ॥
ॐ अंतर्मुख जनानंद फलदायै नमः
ॐ पतिव्रतांगनाभीष्ट फलदायै नमः
ॐ अव्याजकरुणापूरपूरितायै नमः
ॐ नितांत सच्चिदानंद संयुक्तायै नमः
ॐ सहस्रसूर्य संयुक्त प्रकाशायै नमः
ॐ रत्नचिंतामणि गृहमध्यस्थायै नमः
ॐ हानिवृद्धि गुणाधिक्य रहितायै नमः
ॐ महापद्माटवीमध्य निवासायै नमः
ॐ जाग्रत् स्वप्न सुषुप्तीनां साक्षिभूत्यै नमः
ॐ महापापौघपापानां विनाशिन्यै नमः ॥ ६० ॥
ॐ दुष्टभीति महाभीति भंजनायै नमः
ॐ समस्त देवदनुज प्रेरकायै नमः
ॐ समस्त हृदयांभोज निलयायै नमः
ॐ अनाहत महापद्म मंदिरायै नमः
ॐ सहस्रार सरोजात वासितायै नमः
ॐ पुनरावृत्तिरहित पुरस्थायै नमः
ॐ वाणी गायत्री सावित्री सन्नुतायै नमः
ॐ रमाभूमिसुताराध्य पदाब्जायै नमः
ॐ लोपामुद्रार्चित श्रीमच्चरणायै नमः
ॐ सहस्ररति सौंदर्य शरीरायै नमः ॥ ७० ॥
ॐ भावनामात्र संतुष्ट हृदयायै नमः
ॐ सत्यसंपूर्ण विज्ञान सिद्धिदायै नमः
ॐ त्रिलोचन कृतोल्लास फलदायै नमः
ॐ सुधाब्धि मणिद्वीप मध्यगायै नमः
ॐ दक्षाध्वर विनिर्भेद साधनायै नमः
ॐ श्रीनाथ सोदरीभूत शोभितायै नमः
ॐ चंद्रशेखर भक्तार्ति भंजनायै नमः
ॐ सर्वोपाधि विनिर्मुक्त चैतन्यायै नमः
ॐ नामपारायणाभीष्ट फलदायै नमः
ॐ सृष्टि स्थिति तिरोधान संकल्पायै नमः ॥ ८० ॥
ॐ श्रीषोडशाक्षरि मंत्र मध्यगायै नमः
ॐ अनाद्यंत स्वयंभूत दिव्यमूर्त्यै नमः
ॐ भक्तहंस परीमुख्य वियोगायै नमः
ॐ मातृ मंडल संयुक्त ललितायै नमः
ॐ भंडदैत्य महसत्त्व नाशनायै नमः
ॐ क्रूरभंड शिरछ्चेद निपुणायै नमः
ॐ धात्र्यच्युत सुराधीश सुखदायै नमः
ॐ चंडमुंडनिशुंभादि खंडनायै नमः
ॐ रक्ताक्ष रक्तजिह्वादि शिक्षणायै नमः
ॐ महिषासुरदोर्वीर्य निग्रहयै नमः ॥ ९० ॥
ॐ अभ्रकेश महोत्साह कारणायै नमः
ॐ महेशयुक्त नटन तत्परायै नमः
ॐ निजभर्तृ मुखांभोज चिंतनायै नमः
ॐ वृषभध्वज विज्ञान भावनायै नमः
ॐ जन्ममृत्युजरारोग भंजनायै नमः
ॐ विदेहमुक्ति विज्ञान सिद्धिदायै नमः
ॐ कामक्रोधादि षड्वर्ग नाशनायै नमः
ॐ राजराजार्चित पदसरोजायै नमः
ॐ सर्ववेदांत संसिद्द सुतत्त्वायै नमः
ॐ श्री वीरभक्त विज्ञान निधानायै नमः ॥ १०० ॥
ॐ आशेष दुष्टदनुज सूदनायै नमः
ॐ साक्षाच्च्रीदक्षिणामूर्ति मनोज्ञायै नमः
ॐ हयमेथाग्र संपूज्य महिमायै नमः
ॐ दक्षप्रजापतिसुत वेषाढ्यायै नमः
ॐ सुमबाणेक्षु कोदंड मंडितायै नमः
ॐ नित्ययौवन मांगल्य मंगलायै नमः
ॐ महादेव समायुक्त शरीरायै नमः
ॐ महादेव रत्यौत्सुक्य महदेव्यै नमः
ॐ चतुर्विंशतंत्र्यैक रूपायै ॥१०८ ॥

श्री ललिताष्टोत्तर शतनामावलि संपूर्णम्